विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्रा को फ़ोन क्यों किया!
Motivation

विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्रा को फ़ोन क्यों किया!

Mar 16, 2022

विकास मिश्रा-

बात करीब दो महीने पहले की है। दफ्तर में बैठा था। दोपहर में फोन की घंटी बजी। शलभ का फोन था। वही चिरपरिचित आवाज, वही अंदाज, वही संबोधन- भइया प्रणाम, कैसे हैं। मैंने हालचाल दिया, हालचाल लिया। पूछा कि क्या चल रहा है, कैसा चल रहा है। साथ ही बताया भी कि करियर की गाड़ी एकेडमिक की ओर बढ़ चली है। आईआईएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेजेज में पत्रकारिता विभाग में डीन के पद पर काम कर रहा हूं।

शलभ ने कहा कि भइया यह तो बहुत अच्छी बात हो गई। मेरी भी पत्रकारिता में पीएचडी पूरी हो गई है। मैंने कहा- वाह मैं कभी बच्चों को पढ़ाने के लिए गेस्ट लेक्चरर के तौर पर बुलाऊंगा। शलभ बोले- भइया आपका जब आदेश होगा, आ जाऊंगा।

बात काफी देर तक चली। बहुत दिनों बाद बात हो रही थी, मेरे मन में एक सवाल तैर रहा था कि अचानक शलभ ने फोन क्यों किया। मेरे पास कई बार लोगों का फोन आता है तो उलाहना देते हैं कि आप तो याद ही नहीं करते। मैं उत्तर देता हूं कि याद बहुत करता हूं, बस फोन नहीं कर पाता, जब कोई बहाना आ जाता है तो फोन भी कर लेता हूं। तो शलभ से बात भी चल रही थी, मन में सोच भी चल रही थी कि इतने व्यस्त इंसान ने अचानक फोन क्यों किया।

इस बीच शलभ ने कहा- भइया आपका छोटा भाई विधायक है, कभी भी मेरे लायक कुछ हो तो संकोच मत कीजिएगा। आप तो कभी कुछ कहते ही नहीं। कोई भी बात हो तो सीधे मुझे आदेश दीजिए, मुझे अच्छा लगेगा।

शलभ की ये बात भावनात्मक रूप से मुझे छू गई। क्योंकि मैं जानता हूं कि सफलता इंसान को बहुत व्यस्त कर देती है, कामयाबी के कई नए रिश्तेदार पैदा हो जाते हैं। ऐसे में शलभ का समय निकालकर फोन करना और ये कहना मन को छू गया। बहरहाल करीब 15 मिनट की बातचीत के आखिर में शलभ ने मेरे उस प्रश्न का उत्तर भी दे दिया, जिसके जवाब के लिए मन में कौतूहल था। शलभ बोले- भइया ऐसे ही आपकी याद आ गई थी तो फोन मिला लिया।

शलभ मणि त्रिपाठी अपने दौर के धुरंधर पत्रकार रहे हैं। करीब दो दशक की पत्रकारिता की शानदार पारी खेलकर राजनीति में गए। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार बने। पार्टी के प्रवक्ता बने और 2022 में देवरिया से विधायक भी बने। एक संयोग बनते-बनते रह गया था। अगर समीकरण अचानक न पलटते तो शलभ मणि 2019 में देवरिया से बीजेपी के सांसद भी बनते। ऐन वक्त पर उनका टिकट कट गया था।

शलभ से मेरा परिचय दो दशक से ज्यादा पुराना है, हम दोनों दैनिक जागरण में थे। मैं मेरठ में तो शलभ गोरखपुर में। 2005 में चैनल-7 की शुरुआत हुई तो फिर हम साथ आ गए। 2 फरवरी 2005 को मानेसर के होटल में हमारी मुलाकात हुई थी, जहां चैनल-7 के साथियों की ट्रेनिंग चल रही थी। तबसे रिश्ता और रिश्ते की तासीर बिल्कुल वैसी ही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *